लेखनी प्रतियोगिता -07-Jan-2023
इश्क में डूबी मैं भी थी जज़्बात दोनो के एक से थे
फिर जाने क्यों तुमने मुझको छोड़ छोड़ के तोड़ दिया
मेरे बिन बोले समझते थे मैं बात को यू ही तरसती थी
कसमें वादें सब मुझमें थे तुम आजाद परिंदे से जीते थे
छोड़ने का फैसला आपका था अब क्यों
मुझसे जोड़ने के बात किस मुख से करते हो
बदले तेवर मेरे भी अब सफलता पाकर जवाब दूंगी मैं भी
खामोश थी मैं उस वक्त भी जब बेपरवाह गरजते थे
इश्क का नाम से हो गई थी नफरत मुझको
क्यों ऐसा तुमने ऐसा काम किया
खुद की गलती को मुझ पे ही बिन बोले समा दिया
मैं गलत नही कह कह कर में चीखती थी
औरों सा मुझे कह दिया
मेरे मासूमियत का तुमने क्या गजब फायदा उठा लिया
इश्क का फैसला तुम्हारा था पछतावा मुझको
छोड़ के भी
याद तुम्हारे शब्द तुम्हे रातों में जगाएंग
मैं गलत या सही ये वक्त तुम्हे बतलाएगा।।
Sushi saxena
08-Jan-2023 06:57 PM
शानदार
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Muskan khan
08-Jan-2023 05:21 PM
Shandar 🌺
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Renu
08-Jan-2023 04:58 PM
👍👍🌺
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